रचना

उद्गम

पृष्ठभूमि: पुलिस की प्राथमिकतायें अब कानून एवं व्‍यवस्‍था बनाये रखने, आतंकवादियों एवं संगठित आपराधिक दलों की जांच, वी.आई.पी. सुरक्षा का अनुरक्षण एवं राजनीतिक दलों और व्‍यपार संघों द्वारा किए जाने वाले धरनों तथा रैलियों को संभालना है। बेहतर संचार प्रणाली एवं परिवहन के प्रयोग की वजह से अपराध की दर बढ़ चुकी है एवं अपराधियों के क्रिया कलाप अब विस्‍तृत हो चुके है। अपराध रिकार्ड की मैन्‍युली व्‍यवस्‍था करने के लिए न तो स्‍टाफ है न ही समय है। पड़ोसी पुलिस थानों, जिलों एवं राज्‍यों में अपराधियों के प्रचालन पर सूचनाओं का आदान-प्रदान एवं प्रयोग लगभग असंभव है ।


अंतर जिला एवं अंतर राज्‍य प्रकृति के अपराध एवं अपराधी पर रिकार्ड के इस मेन्‍युअल रख रखाव एवं सूचना के मेन्‍युअल आदान-प्रदान को दूर करने की आवश्‍यकता महसूस की गई थी। अपराध अपराधी रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण एवं पुलिस कंप्‍यूटर नेटवर्क को व्यवहार्य विकल्‍प के रुप में विचार में लाया गया था।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो की संरचना(अधिसूचना)
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अपराध रिकार्ड अपराध की रोक-थाम एवं नियंत्रण के लिए पुलिस कार्यप्रणाली की योजना में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है। भारतीय पुलिस कई वर्षों से, अपराध रिकार्ड प्रणाली की गुणवत्‍ता में सुधार करना चाहती है जिससे वे अपने दायित्‍वों को बेहतर गुणवत्‍तापूर्वक एवं प्रभावी ढंग से निभा सके। यद्यपि पुलिस भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्‍य का एक विषय है, केन्द्र सरकार गृह मंत्रालय के माध्‍यम से राज्‍यों के पुलिस बलों के नवीनीकरण हेतु उन्‍हें वित्‍तीय सहायता एवं अध्‍ययन समूहों, समितियों के गठन एवं केन्‍द्रीय संगठनों की संरचना के द्वारा सहायता प्रदान कर रही है जिससे राज्‍यों को अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने में सहायता मिल सके। इस दिशा में कुछ महत्‍वपूर्ण कदम निम्‍नलिखित प्रकार से है :-

भारतीय पुलिस आयोग – 1902 – इस आयोग ने, प्रथम बार, पुलिस थाना स्‍तर एवं जिला में सूचना के प्रलेखीकरण के रूप में मानकीकृत पुलिस प्रपत्रों एवं रजिस्‍टरों को प्रयोग में लाया जिससे कि देश भर में एक समान रूप में प्रयोग में लाया गया।

केन्‍द्रीय अंगुलि छाप ब्‍यूरो कलकत्‍ता – 1956 – यह ब्‍यूरो सभी राज्‍यों के दोषसिद्ध अपराधियों के अंगुलि छाप पर्चियों के रख रखाव का कार्य करता था जिससे अंगुलि छाप रिकार्ड के आधार पर अंतर राज्‍य अपराधियों की सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाया जा सके।

केन्‍द्रीय अंवेषण ब्‍यूरो में अंतरराज्‍यीय अपराध रिकार्ड प्रभाग – 1964 – के.अं.छा.ब्‍यू. में दोषसिद्ध अपराधियों के रिकार्ड व्‍यवस्थित करने के अलावा, एक नई व्‍यवस्‍था लागू की गई जिसे अंतर राज्‍य रूप से विभाजित चुनिंदा अपराधों एवं अपराधियों पर सूचना के संग्रह एवं आदान-प्रदान के लिए उत्‍तरदायी बनाया गया।

उप महानिरीक्षक, सी.आई.डी. सम्‍मेलन 1970 – इस सम्मेलन के द्वारा एक उप समिति का गठन किया गया जो विभिन्न केन्द्रों पर संग्रिहत सूचना की बढ़ती हुई मात्रा को ध्यान में रखते हुए अपराध रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण को संभाव्य बनाने की कोशिश करेगा। उप समिति ने अपराध रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण के साथ उस पर विस्तृत रूप रेखा की सिफारिश की ।

राज्य पुलिस बलों के नवीनीकरण के लिए गृह मंत्रालय योजना -1970.- गृह मंत्रालय ने पुलिस बलों के नवीनीकरण के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए १०० करोड रूपये की एक योजना बनायी । इस योजना के तहत सभी राज्यों पर अनुपात के आधार पर रू १० करोड तक व्यय किये जाने थे, जिसमें से ५० प्रतिशत अनुदान के रूप में एवं ५० प्रतिशत आसान किस्तों में वसूल किये जाने वाला ऋण था। कंप्यूटरीकरण के माध्यम से अपराध रिकार्ड का नवीनीकरण उप महानिरीक्षक, सी.आई.डी. सम्‍मेलन की सिफारिशों पर आधारित था जिसे वर्ष १९७५-७६ में योजना में शामिल किया गया था। यह योजना १० वर्षों के लिए बढ़ा दी गई।

अंगुलि छाप के कंप्यूटरीकरण पर उप समिति -1972.- उप समिति ने अंगुलि छाप वर्गीकरण का विश्लेषण किया, वर्गीकरण की एक नई प्रणाली का विकास किया गया जिससे अंगुलि छाप रिकार्ड के कंप्यूटरीकरण की प्रविष्टि की जा सके एवं अंगुलि छाप के कंप्यूटरीकरण के लिए इस कार्यप्रणाली को अपनाने के लिए सिफारिशें की।

पुलिस कम्प्यूटर समन्वय निदेशालय (डी.सी.पी.सी.)- 1976 – राज्‍यों में अपराध एवं अंगुलि छाप रिकार्ड के संबंध में नवीनीकरण योजना के कार्यान्‍वयन के क्रम में, राज्‍यों में कंप्‍यूटर आधारित प्रणाली को प्रारंभ करने एवं राज्‍यों को कंप्‍यूटरों की प्राप्ति एवं संस्‍थापन के लिए सहायता तथा अपराध – अपराधी सूचना प्रणाली के कार्यान्‍वयन हेतु इस संगठन की व्यवस्था की गई।

अपराध रिकार्ड के कंप्‍यूटरीकरण पर अध्‍ययन समूह – 1976 – इलैक्‍ट्रानिक डाटा संसाधन एवं दूर संचार के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी विकास को ध्‍यान में रखते हुये अपराध रिकार्ड के कंप्‍यूट्रीकरण के तौर-तरीकों एवं उचित कार्य प्रणाली के लिए सिफारिश करने हेतु अध्‍ययन समूह की व्यवस्था की गई ।

राष्‍ट्रीय पुलिस आयोग – 1977 – इस आयोग की व्यवस्था देश में पुलिस के सभी पहलुओं को ध्‍यान में रखने के लिए की गई । कल्‍याणकारी एवं लोकतांत्रिक राज्‍य की राष्‍ट्रीय महत्‍वकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए इस बात को ध्‍यान में रखते हुए सिफारिशें की गईं कि राज्‍य पुलिस में अपेक्षित संगठनात्‍मक, कार्य-विधि संबंधी एवं सांस्‍कृतिक परिवर्तनों को एक लय में लाया जा सके।

अपराध रिकार्ड पर समिति – 1978 – इस समिति की स्‍थापना वर्तमान अपराध रिकार्ड की समीक्षा एवं सहयोगी प्रक्रियाओं की समीक्षा करने हेतु हुई तथा इस बात पर बल दिया गया कि पुलिस बलों को वर्तमान में अपराध एवं अपराधियों संबंधी सूचनाएं प्राप्‍त करने में अधिक समर्थवान बनाने हेतु सुधारों की सिफारिश की जाए।

राष्‍ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों को स्वीकृत करना – 1977 ; गृह मंत्रालय ने 1985 में एक कार्य बल का गठन किया जिससे कि‍ राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो(रा.अ.रि.ब्‍यू.) के गठन की रुपरेखा को तैयार किया जा सके। सरकार ने कार्य बल की सिफारिशों को स्‍वीकृत करते हुए मुख्‍यालय नई दिल्‍ली जनवरी, 1986 में राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो का गठन किया। सरकारी संकल्‍प दिनांक 11.03.1986 के अनुसार राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो के लिए निम्‍नलिखित उद्देश्‍य रखे गये थे :
  1. अपराध एवं अपराधियों पर सूचना जिसमें राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सक्रिय अपराध एवं अपराधियों पर सूचना भी शामिल है उनके क्‍लीयिरिंग हाउस के रूप में कार्य करना जिससे कि अनवेषकों एवं अन्‍य लोगों को अपराध से जुड़े अपराधियों से लिंक करने में सहायता मिल सके।
  2. भारत में पुलिस थाना रिकार्ड को संदर्भ दिए बिना संबंधित राज्‍यो, राष्‍ट्रीय अन्वेषण संस्‍थाओं, न्‍यायालयों एवं वकीलों को अंतरराज्‍यीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय अपराधियों पर सूचना का संचय, समन्‍वय एवं आदान-प्रदान करना।
  3. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपराध आंकड़ों का संग्रह एवं संसाधन करना।
  4. अपराधियों के पुनर्वास, उनकी रिमांड, पैरोल, समय से पहले रिहाई आदि के कार्यों के लिए दंड एवं सुधार संस्‍थाओं से डाटा प्राप्त करना एवं आपूर्ति कराना।
  5. राज्‍य अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो की कार्य प्रणाली का समन्‍वयन, मार्गदर्शन एवं सहायता करना।
  6. अपराध रिकार्ड ब्यूरो के कार्मिकों को प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करना एवं
  7. अपराध रिकार्ड ब्यूरो का मूल्‍यांकन,विकास एवं आधुनिकीकरण करना।
  8. केन्‍द्रीय पुलिस संगठनों के लिए कार्य कारिणी एवं कंप्यूटर आधारित प्रणाली को विकसित करना– एवं कंप्‍यूटरीकरण के लिए उनके डाटा संसाधन एवं प्रशिक्षण की आवयश्‍कताओं हेतु सुविधायें प्रदान करना।
  9. विदेशी अपराधियों के अंगुलि छाप रिकार्ड जिसमें दोष-सिद्ध व्‍यक्तियों के अंगुलि छाप रिकार्ड भी शामिल है उनके राष्‍ट्रीय गोदाम के रुप में कार्य करना।
  10. अंगुलि छाप खोज के द्वारा अंतरराज्‍यीय अपराधियों की खोज करने में सहायता करना।
  11. अंगुलि छापों एवं पद चिन्हों से संबंधित मामलों पर केन्‍द्रीय एवं राज्‍य सरकारों को सलाह देना, अंगुलि छाप विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
केन्‍द्र में अपराध – अपराधी सूचना प्रबंधन की प्रणाली को सुप्रवाह बनाने के लिए पहला कदम उठाते हुए गृह मंत्रालय ने विभिन्न केन्‍द्रीय पुलिस संगठनों के निम्‍नलिखित अपराध रिकार्ड संस्‍थानों को राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो में विलय किया है :
पुलिस कंप्‍यूटर एवं समन्‍वय निदेशालय (गृह मंत्रालय)
केन्‍द्रीय अणवेषण ब्‍यूरो का अंतरराज्‍य अपराधियों के डाटा का व्‍यवस्थित करना।
पुलिस अनुसंसाधन एवं विकास ब्‍यूरो के अपराध आंकड़ो को व्‍यवस्थित करना।
केन्‍द्रीय अणवेषण ब्‍यूरो के केन्‍द्रीय अंगुलि छाप ब्‍यूरो, कलकत्‍ता।
निदेशक, राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने विभिन्‍न स्तरों के 316 पदों को मंजूरी दी एवं रा.अ.रि.ब्‍यू. के लिए लगभग 2 करोड़ की लागत वाले कंप्‍यूटर प्रणाली की प्राप्ति खरीद की मंजूरी दी।
राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो ने अपने नये चार्टर के साथ जनवरी, 1986 में एक निदेशक सहित 5 व्‍यक्तियों के साथ कार्य करना शुरु किया। यद्पि राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो फरवरी, 1986 से अप्रैल, 1988 के मध्‍य विभिन्‍न अपराध रिकार्ड संस्‍थानों के विलय के साथ विकसित हो रहा था, मंत्रालय ने अगस्‍त 1987 में राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो के लिए जनशक्ति एवं उपस्‍करों के लिए एक विस्‍तृत प्रस्‍ताव को मंजूरी दी। रा.अ.रि.ब्‍यू. के पास अभी तक कुल 451 अनुमोदित पद हैं।

अपराध एवं अपराधी खोज नेटवर्क एवं प्रणाली (अ.अ.खो.ने.प्र.) जो एक पूर्व योजना प्रणली नामत: - सामान्‍य एकीकृत पुलिस अनुप्रयोग(सीपा) के अनुभव के आधार पर संपादित की गई है।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो वर्तमान में इन शाखओं के माध्‍यम से कार्य कर रहा है: (i)अपराध रिकार्ड शाखा (ii)केन्द्रीय अंगुलि छाप ब्‍यूरो (iii)सांख्यिकीय शाखा (iv) प्रणाली विकास शाखा (v) राज्‍य कार्यान्‍वयन शाखा (vi) प्रणाली अनुरक्षण शाखा (vii) प्रशिक्षण शाखा (viii) आंकड़ा केन्‍द्र और तकनीकी शाखा ।


Updated On: 27/05/2019
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