भारत में अंगुली चिन्ह

कार्यकारी सारांश

‘भारत में अंगुलि चिह्न-2019', राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (रा.अ.रि.ब्यूरो) के अंतर्गत कार्य करने वाले केन्द्रीय अंगुलि चिह्न ब्यूरो (के.अ.चि.ब्यूरो) का 23 वाँ वार्षिक प्रकाशन है। जो केन्द्रीय एवं राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के अंगुलि चिह्न ब्यूरो (राज्य अ.चि.ब्यूरो) की वर्ष 2019 की वार्षिक निष्पादन रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इसमें ब्यूरो की गतिविधियों, उपलब्धियों, डाटाबेस की स्थिति एवं प्रशिक्षण की जानकारी संजोयी गई है। इसके साथ साथ यह प्रकाशन अन्य उपयोगी जानकारी जैसे–प्रासंगिक कानून, उपकरण और आधिकारिक पुस्तकों आदि के बारे में नवीनतम जानकारी भी देता है ताकि देश भर के अंगुलि चिह्न विशेषज्ञों, पाठकों और हितधारकों को नई जानकारी मिल सके।

अध्याय 01- केन्द्रीय अंगुली छाप ब्यूरो की गतिविधियां

के.अ. चि.ब्यूरो, वर्ष 2019 में, राष्ट्रीयकृत बैंकों, भर्ती एजेंसियों, बीमा कंपनियों आदि से प्राप्त 126 दस्तावेज़ मामलो व विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के अ.चि.ब्यूरो से प्राप्त 89 चांस प्रिंटों का परीक्षण करके परिणाम देने में सक्षम रहा है। ब्यूरो ने 22.1 प्रतिशत सर्च स्लिप ट्रेस करने में भी सफलता हासिल की है, जो कि पिछ्ले वर्ष 11.23 प्रतिशत ट्रेस था। ब्यूरो ने XXवें अ. चि. ब्यूरो के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (रा.अ.रि. ब्यूरो) मुख्यालय नई दिल्ली में 17 एवं 18 अक्टूबर, 2019 को सफलतापूर्वक आयोजित किया था। इसमे विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 78 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ब्यूरो ने अखिल भारतीय बोर्ड परीक्षा (अ. भा. बो. प.)-2019 का आयोजन भी किया। यह परीक्षा 16-18 नवंबर, 2019 को विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अंगुलि चिह्न का काम करने वाले व्यक्तियों को अंगुलि चिह्न विशेषज्ञ के रूप में मान्यता देने के लिए आयोजित की गयी। अ. भा. बो. प.-2019, में 41 योग्य उम्मीदवारो के नामांकन प्राप्त हुए इनमें से 37 उम्मीदवारो ने भाग लिया और कुल 33 उम्मीदवार सफल हुए। अ. भा. बो. प. 2019 का उत्तीण प्रतिशत 94.5% रहा। पहला स्थान अ. चि. ब्यूरो केरल के श्री सुधेश के.वी, अंगुलि चिह्न सर्चर ने प्राप्त किया।

गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को राष्ट्रीय स्वचालित अंगुलि चिह्न पहचान प्रणाली (एन.ए.एफ.आई.एस.) की खरीद के लिए मैसर्स स्मार्ट चिप के साथ एक समझौता करने के लिए वित्तीय स्वीकृति और प्रशासनिक स्वीकृति जारी की। इस परियोजना के तहत, 1300+ वर्कस्टेशनों को राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के राज्य अ.चि.ब्यूरो, आयुक्तालयों और जिला इकाइयों को वितरित किया गया। वर्क स्टेशन में सी.पी.यू. और मॉनिटर, मॉर्फो टॉप, एफ.ई.डी. ,सिंगल डिजिट लाइव स्कैनर (बायो-लॉगिन), फ्लैट बेड स्कैनर और प्रिंटर शामिल हैं। नेफिस (एन.ए.एफ.आई.एस.) से आने वाले लाभों को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सूचित करने के अनुरोध के साथ सूचित किया गया था कि क्या वे अपनी स्वचालित अंगुलि चिह्न पहचान प्रणाली को जारी रखना चाहते हैं या एन.सी.आर.बी. के साथ स्विच करना चाहते हैं। समाधान प्रदाता ने सभी राज्य अंगुलि चिह्न ब्यूरो, आयुक्तालयों और जिलों को पूरा हार्डवेयर प्रदान किया है, और एन.ए.एफ.आई.एस. डाटा सेंटर को एन.सी.आर.बी. में चालू किया गया है। एन.डी.सी., भुवनेश्वर में आपदा बहाली केंद्र भी चालू है। एन.ए.एफ.आई.एस सॉफ्टवेयर को भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया गया है। समाधान प्रदाता ने मौजूदा डिजिटल डेटा को एन.ए.एफ.आई.एस में स्थानांतरित करने के लिए माइग्रेशन उपयोगिता विकसित की है। डिजिटल रूप में अनुपलव्ध अंगुलि चिह्न पर्चियों को डिजिटल करने के लिए एन.सी.आर.बी., मुख्यालय, नई दिल्ली, लखनऊ और भोपाल में इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की गई है।

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के एफ.पी.बी. की मान्यता के लिए तौर-तरीकों की रूपरेखा तैयार करने और सर्वश्रेष्ठ अंगुलि चिह्न ब्यूरो के चयन के लिए मापदंडों की पहचान करने के लिए एक समिति गठित की गई थी। इस पर विचार-विमर्श के लिए एक दिन का एन.ए.बी.एल. जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के एफ.पी.बी. अधिकारियों को एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त करने की दिशा में एक आशावादी दृष्टिकोण के साथ सक्रिय रूप से चर्चा में भाग लिया गया था। नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के मार्गदर्शन में एक स्वायत्त निकाय है। इसका उद्देश्य देश में प्रयोगशालाओं के परीक्षण और अंशांकन को मान्यता प्रदान करना है।

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के एफ.पी.बी. के श्रम शक्ति और स्टाफिंग पैटर्न के सुझाव के लिए श्रम शक्ति समिति द्वारा एक बैठक आयोजित की गई। एस.एफ.पी.बी. के अधिकांश निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया और सुझावों को सूचीबद्ध करते हुए, समिति की सिफारिशें सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शीघ्र कार्यान्वयन के लिए भेजीं गई।

अध्याय-02 राज्य अंगुलि छाप ब्यूरो की गतिविधियां

अंगुलि चिह्न विशेषज्ञों की मुख्य ज़िम्मेदारी, अपराधियों द्वारा मौके पर छोड़े गए अंगुलि चिह्न को विकसित करना और मौजूदा अपराधियों के अंगुलि चिह्न का मिलान करना है। इसके साथ ही अंगुलि चिह्न विशेषज्ञ, अंगुलि चिह्न पर्चियों को भी प्राप्त करते हैं, जिससे गिरफ्तार व्यक्तियों का पिछला आपराधिक इतिहास पता चल सके। अंगुलि चिह्न ब्यूरो में आने वाले संदेहास्पद दस्तावेज़ों पर अंगुलि चिह्न विशेषज्ञ राय देते हैं। कुल मामलों की संख्या ज़्यादा होने के कारण संवेदनशीलता के आधार पर खोई हुई, बरामद संपत्ति का मूल्य, मामलों की श्रृंखला का पता लगाना, आदि मापदंडों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्यों द्वारा कुछ महत्वपूर्ण मामले ही इस प्रकाशन में मुद्रण के लिए भेजे गए हैं।

वर्ष 2019 में ,राज्य अ. चि. ब्यूरो के विशेषज्ञों ने कुल 36,379 अपराध स्थलों का दौरा किया और 39075 चान्स प्रिंटो को सफलतापूर्वक विकसित किया। केन्द्रीय अंगुलि चिह्न ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्ट के लिए राज्य अंगुलि चिह्न ब्यूरो ने अंगुलि चिन्हों से हल किये गए 240 महत्वपूर्ण मामले प्रकाशन हेतु भेजे। इनमें से 63 मामलों को इस प्रकाशन में जगह दी गयी जिनमें हत्या, चोरी, डकैती, आर्म्स एक्ट और एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले शामिल थे।

अध्याय- III- केन्द्रीय अंगुलि छाप ब्यूरो एवं राज्य अंगुली छाप ब्यूरो की आदान-प्रदान गतिविधियाँ

इस अध्याय में राज्यों की गतिविधियाँ जैसे- दोषी और गिरफ्तार व्यक्तियों की अंगुलि चिह्न स्लिपों की प्राप्त संख्या, उनकी स्वीकृति और नामांकन, अपराध दृश्यों की संख्या, मौके पर मिलने वाले अंगुलि चिह्नों का विकास एवं तुलना करना, दस्तावेज मामलों की कुल संख्या और राय शामिल हैं। केन्द्रीय अंगुलि चिह्न ब्यूरो को देश भर से 41,429 अंगुलि चिह्न पर्चियाँ रिकॉर्ड के लिए तथा 48,792 मामले, केन्द्रीय डेटा में खोजने हेतु प्राप्त हुए। राज्य अंगुलि चिह्न ब्यूरो को विभिन्न जिलों एवं पुलिस स्टेशनों से कुल 73,125 अंगुलि चिह्न अभिलेख पर्चियाँ (रिकॉर्ड स्लिप) प्राप्त हुई। इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 4,87,268 अंगुलि चिह्न पर्चियाँ डाटाबेस में खोज करने के लिए उपयुक्त पाई गईं और सुधार के लिए 23,938 अंगुलि चिह्न पर्चियाँ वापिस की गईं। राज्य अंगुलि चिह्न ब्यूरो ने कुल 1,937 दस्तावेज़ मामले प्राप्त किये, जिनमे से 1,896 मामलों की अ.चि. विशेषज्ञों द्वारा जांच की गयी। अ.चि. विशेषज्ञों ने 240 मामलों को न्यायालयों में सत्यापित किया। मौके पर मिलने वाले चांस प्रिंटों को विकसित करने के मामले में, आंध्र प्रदेश राज्य ने 9,418 चिह्नों को विकसित करके पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके बाद 7,687 चिह्नों को विकसित करके केरल दूसरे स्थान पर रहा। इसके साथ ही मौके पर मिलने वाले चांस प्रिंटों की पहचान करके, आंध्र प्रदेश ने 512 मामले सुलझाए एवं देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। दस्तावेज़ मामलों में, पंजाब ने 279 मामले सुलझाकर प्रथम स्थान पाया। निम्नलिखित तालिका 2019 के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अंगुलि चिह्नों के अखिल भारतीय आदान-प्रदान के आंकड़े दिखाती है:

राज्य अंगुली छाप ब्यूरो की आदान-प्रदान गतिविधियाँ

  दोषियों की  प्राप्त अंगुलि चिह्न स्लिपें  गिरफ़्तार व्यक्तियों की  प्राप्त अंगुलि चिह्न स्लिपें विकसित चांस प्रिंट (तुलना के योग्य) अंगुलि चिह्न दस्तावेज मामले
कुल 73,125 5,11,206 39,025 1937

 

अध्याय- IV-अंगुलि छाप की आदान-प्रदान गतिविधियों का विश्लेषण

इस अध्याय में अंगुलि चिह्न से संबंधित विभिन्न आदान-प्रदान गतिविधियों का राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में विश्लेषण दिया गया है। वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट फॉर्म-2018 में मामूली संशोधनों की आवश्यकता थी, जैसे रिकॉर्ड सेक्शन से सर्च स्लिप को हटाने और सर्च सेक्शन से रिकॉर्ड स्लिप को हटाने और चांस प्रिंट की जानकारी में मामूली संशोधन। वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट फॉर्म-2019 के इस संशोधन ने, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से अपराध विशिष्ट जानकारी एकत्र करने में सुविधा प्रदान की है।

पंजाब, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु, राज्यों ने बड़ी संख्या में दस्तावेज़ मामलों की जांच की है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों ने सबसे अधिक गिरफ्तारी पर्ची दर्ज की हैं। हत्या, गंभीर चोट, बलात्संग और हत्या के प्रयास के लिए दोषी पाए जाने वालों के रिकॉर्ड की संख्या अन्य भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) प्रमुखों की तुलना में सबसे अधिक है, जबकि दर्ज की गई पर्ची भी अपराधों जैसे- अपहरण, व्यपहरण एवं महिलाओं पर हमलों में अत्यधिक हमलों की तेजी की वृद्धि प्रदर्शित करती है। चोरी की वारदात के लिए गिरफ्तार और दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की संख्या डकैती, चोरी और डकैती में शामिल लोगों की तुलना में अधिक है। एन.डी.पी.एस.के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की संख्या अन्य एस. एल.एल. अपराधों के बाद दूसरे स्थान पर आती है। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों ने सबसे अधिक अभिलेख पर्चियाँ (रिकॉर्ड स्लिप) प्राप्त कीं।

अध्याय- V- क्षमता निर्माण

इस अध्याय में क्षमता निर्माण और कैलेंडर वर्ष के दौरान आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों से संबंधित जानकारी शामिल है। के.अ.चि.ब्यूरो/रा.अ.चि.ब्यूरो भारत के साथ-साथ विदेशी पुलिस अधिकारियों/ कर्मचारियों के भी लिए कई प्रशिक्षण / रिफ्रेशर पाठ्यक्रम आयोजित करता है।

 

    (क). कुल संख्या

 (ख). कुल संख्या

 प्रशिक्षित अधिकारी

रा.अ.चि.ब्यूरो में प्रशिक्षित हुए अपने अधिकारी/कर्मचारी

रा.अ.चि.ब्यूरो में प्रशिक्षित हुए अन्य अधिकारी/कर्मचारी

के॰अं॰छा॰ब्यू॰, नई दिल्ली के॰अं॰छा॰ब्यू॰, कोलकता
कुल 154 175 361 25,817

 

अनुलग्नक:

अंगुलि चिह्न विज्ञान के पुरोधाओं जैसी उपयोगी जानकारी, भारत में अंगुलि चिह्न से संबंधित कानून, उन्नीसवें अखिल भारतीय अंगुलि चिह्न निदेशक सम्मेलन की अनुशंसा, विभिन्न अंगुलि चिह्न ब्यूरो में तैनात स्टाफ, नेफिस का सारांश , प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में विभिन्न प्रकार के उपकरणों की उपलब्धता, अखिल भारतीय बोर्ड परीक्षा में अव्वल रहने वाले व्यक्तियों की सूची, अंगुलि चिह्न विज्ञान पर मानक पुस्तकें, रा.अ.रि.ब्यूरो के संपर्क विवरण आदि, प्रकाशन के अनुलग्नक भाग में शामिल हैं।


Updated On: 18/11/2021
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