अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) एक योजनागत योजना है जिसको गैर-योजना “सामान्य समेकित पुलिस एप्लिकेशन (सी.आई.पी.ए.)” के अनुभव के आलोक में हुआ था। सीसीटीएनएस भारत सरकार के राष्ट्रीय ई-शासन योजना के अंतर्गत एक प्रकार की मिशन मोड परियोजना है। सीसीटीएनएस का लक्ष्य एक व्यापक एवं एकीकृत प्रणाली विकसित करना है जिसमें ई-शासन के सिद्धांतों को अंगीकरण एवं देशव्यापी नेटवर्किंग संरचना को स्थापित करने के माध्यम से एक दक्ष एवं प्रभावी पुलिस-सेवा में बढ़ोतरी हो था सूचना-प्रौधोगिकी –समर्थित-अत्याधुनिक ट्रैकिंग प्रणाली का विकास ‘अपराध की जाँच पड़ताल तथा अपराधियों की खोज’ के कारण हुआ। सीसीटीएनएस परियोजना के लिए 2000 करोड़ राशि का आवंटन किया गया है। आर्थिक कार्य मंत्रिमंडलीय समिति ने 19.06.2009 को परियोजना को स्वीकृति दी है।
पुलिस की कार्यप्रणाली में सूचना प्रौधोगिकी की क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्व में बहुत सी पहल शुरू की गयी है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (रा.अ.रि.ब्यूरो) द्वारा परिचालित “अपराध एवं आपराधिक सूचना प्रणाली” (सी.सीआई.एस.) एवं “समेकित सामान्य पुलिस अनुप्रयोग” (सी.आई.पी.ए.), एवं राज्य द्वारा परिचालित कार्यक्रम जैसे की इ-काप्स (आंध्रप्रदेश), पुलिस सूचना प्रौद्योगिकी (कर्नाटक), थाना ट्रैकिंग प्रणाली (पश्चिम बंगाल), सी.ए.ए.आर.यू.एस (तमिलनाडू) एवं एच.डी(-)आई. आई.टी.एस.(गुजरात) आदि कुछ केंद्रीयकृत प्रारम्भिक कार्यक्रम हैं।
रा.अ.रि.ब्यूरो ने सी.सी.आई.एस. का गठन वर्ष 1995 में शुरू किया था, जिसमें राज्य एवं जिला पुलिस मुख्यालय इस परियोजना में शामिल किए गए थे। सी.सी.आई.एस. मुख्यतः अपराध एवं अपराधियों से संबन्धित डाटाबेस को बनाने की एक पहल थी जो निगरानी अभिकरणों जैसे राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (रा.अ.रि.ब्यूरो), राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरों(रा.अ.रि.ब्यूरों) तथा जिला अपराध ब्यूरों(जि.अ.रि.ब्यूरों) द्वारा अपराध निगरानी के लिए प्रयोग किया जा सके और अपराध तथा अपराधियों से संबंन्धित जानकारियों के समीक्षात्मक आंकडे राज्यों तथा निगरानी अभिकरणों को सुगमता से उपलब्ध कराया जा सके। सी.सी.आई.एस. प्रारम्भ में यूनिक्स औ एस और इंग्रेस आधारित डाटाबेस है, लेकिन फिर विंडोज प्लैटफार्म में इसे पोर्ट कर दिया गया। मेसर्स एच.सी.एल एवं आई.सी.आई.एम से कुल 594 कम्प्युटर सिस्टम खरीदे गए हैं जिनमें 11 अतिरिक्त खरीदे हुए कम्प्यूटर सिस्टम भी शामिल हैं। समेकित अन्वेषण फार्म (आई.आई.एफ.) का प्रारूप राज्य पुलिस के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श के उपरांत बनाया गया है। परियोजना के अंतर्गत आंकड़ों की प्रविष्टियाँ का कार्य वर्ष 1995 से आरंभ हुआ था। वर्ष 1995 से 1999 के दौरान सी.सी.आई.एस. साफ्टवेयर के चार संस्करणों का जारी किया गया है। वर्ष 2000 में वाई2के समस्या के कारण सी.सी.आई.एस. डाटाबेस का पोर्ट यूनिक्स/इंग्रेस से विंड़ोज/एसक्यूएल में परिवर्तित कर दिया गया। उन्नत कम्प्यूटरों को सम्पूर्ण देश में मई 2000 से जनवरी, 2001 तक 740 स्थानों में स्थापित किया गया। नई विंडो आधारित एप्लिकेशन साफ्टवेयर 2के.1 के प्रथम संस्करण को जुलाई 2000 में जारी किया गया। 2के.1 के दूसरे संस्करण को मई 2001 में जारी किया गया था। सी.सी.आई.एस एम.एल01 (बहुभाषी (हिन्दी/अंग्रेजी) संस्करण सितम्बर 2002 में जारी किया गया था।
सी.सीआई.एस. डाटा का प्रयोग गुमशुदा लोगों से संबंधित रिपोर्ट को ऑनलाइन प्रकाशन में प्रयोग किया जाता है तथा रा.अ.रि.ब्यूरो वैबसाइट के माध्यम से डाटा को ऑनलाइन जानकारी सुविथा के आधार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इसका प्रयोग रा.अ.रि.ब्यूरो देशव्यापी अपराध रिपोर्ट के वार्षिक प्रकाशन के रूप में करता है। सी.सी.आई.एस. पूर्ण रूप से अपराध एवं अपराधियों की सूचना पर ध्यान केन्द्रित करता है पुलिस के अन्य प्रकार के कार्य क्षेत्र से सरोकार नहीं रखता।
सामान्य समेकित पुलिस एप्लिकेशन (सी.आई.पी.ए.) का आरम्भ रा.अ.रि.ब्यरो द्वारा वर्ष 2004 में सी.सी.आई.एस. के आरम्भ के पश्चात किया गया था, जिसकी रचना ग्राहक-सर्वर संरचना पर एन.आई.सी लाइनेक्स प्लेटफार्म पर जावा एवं पोष्टग्रेस एसक्यूएल आंकड़ाबेस का प्रयोग किया गया है। एफ.आई.आर सूचना का कम्प्युटर प्रणाली में पंजीयन करना तथा उसकी प्रतियों का मुद्रांकन एवं पुलिस स्टेशन रजिस्टरों का कम्प्यूटर प्रणाली में सृजन करना एवं कॉपी करने इत्यादि लाभ सी.आई.पी.ए से प्राप्त हुए हैं।
सी.सी.आई.एस एक बहुभाषी प्रणाली थी, जिसने प्रणालियों (कार्य प्रगति) का स्वसंचालन डाटा के प्रारम्भिक स्रोतों से ही शुरू कर दिया था उदाहरणार्थ, दंड प्रक्रिया संहिता के आधार पर पुलिस थानों एवं अपराध तथा अपराधी सूचना प्रणाली विकसित करना। यह जानकारी/रिपोर्ट एवं संगठित अपराध विश्लेषण को जारी करने में अपराध अभिलेख को सुव्यस्थित ढ़ंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रभावशाली तरीका उपलब्ध कराता है।
सी.सी.आई.एस प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) के पंजीयन, घटनाओं के अन्वेषण एवं अभियोग प्रकिया के लिए कार्य करता है। यह कट्टर अपराधियों, आदतन अपराधियों एवं संगठित गिरोह के डाटा बेस भी रखता है।
तथापि ऐसा महसूस किया गया कि केवल एकल कार्य प्रणाली, अपराध अन्वेषण एवं अपराधी खोजने के क्षेत्र में विस्तृत नतीजे नहीं उपलब्ध करा पा रही थी, जो कि आवश्यक है। इस कारण से ही गृह मंत्रालय ने अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सी.सी.टी.एन.एस.) कार्यक्रम प्रारम्भ करने का निर्णय किया।
सीसीटीएनएस को इस तरह से लागू किया गया है जहां राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। सीसीटीएनएस को "केंद्रीकृत योजना और विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन" के एनईजीपी सिद्धांत के अनुरूप लागू किया गया है। गृह मंत्रालय और एनसीआरबी, कुछ प्रमुख घटकों के विकास और कार्यक्रम की निगरानी और समीक्षा में राज्यों के भीतर पुलिस नेतृत्व के सहयोग से कार्यक्रम की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राज्य स्तर पर योजना और कार्यान्वयन को संचालित कर रहे है। केंद्र (गृह मंत्रालय और एनसीआरबी) की भूमिका मुख्य रूप से नियोजन के आसपास केंद्रित है जिसमे कोर एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (सीएएस) प्रदान करना (राज्यों में उनकी आवश्यकता के अनुकूल परिवर्तन करना और तैनात किया जाना है। राज्य इसे अपने स्तर पर कार्यान्वित करते हैं और उनके पास इसका स्वामित्व भी रहता है । सीसीटीएनएस के कार्यान्वयन में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के बजाय "एकीकृत सेवा वितरण" दृष्टिकोण अपनाया है। राज्य स्तर पर सीसीटीएनएस कार्यान्वयन को केंद्रीय विशेषता "सेवाओं का बंडल" के रूप में स्थापित किया गया है । इसके अनुसार, प्रत्येक राज्य ने एक सिस्टम इंटीग्रेटर (एसआई) का चयन किया है जो सीसीटीएनएस के सभी घटकों के लिए राज्य के लिए संपर्क का एकल बिंदु है। इन घटकों में एप्लिकेशन (गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए कोर एप्लिकेशन में किए गए परिवर्तन), हार्डवेयर, संचार अवसंरचना, संबद्ध, क्षमता निर्माण और हैंडहोल्डिंग, आदि जैसी सेवाएं शामिल हैं।
योजना के उद्देश्य मोटे तौर पर निम्नलिखित हैं।
CCEA की टिप्पणी के अनुसार, सीसीटीएनएस परियोजना के अंतर्गत पुलिस पदानुक्रम अर्थात सर्कल, उप-प्रभाग, जिले, रेंज, जोन, पुलिस मुख्यालय, SCRBX तथा फिंगर प्रिंट ब्यूरों, फोरेंसिक प्रयोगशाला इत्यादि जैसी जांच एवं अन्य उद्देश्यों के लिए सहायता एवं जानकारी प्रदान करने के लिए अपेक्षित डाटाबेस वाले वैज्ञानिक एवं तकनीकि संगठन वाले 6000 उच्चतम कार्यालयों के अलावा पूरे देश में 14000 पुलिस थानों को स्वाचालित किए जाने का प्रस्ताव है।
पुलिस एव संवेदनशील विषय होने के कारण, एम.एम.पी को तैयार करने में परामर्श तथा भू-स्तरीय द्रष्टिकोण अंगीकार करना होगा जिससे निम्नलिखित प्रभावित होंगेः-
सीसीटीएनएस के सफल क्रियान्वयन के परिकल्पित अपेक्षित लाभ निम्नलिखित हैः